Tuesday, February 9, 2016

यूँ तो लगती फरेब है,
ख्वाबों ख्यालों की ये दुनिया…
मगर देखा है मैने “इंदर”,
कुछ ख्वाब मुकम्मल होते हुए…
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Acct- इंदर भोले नाथ…

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