कुछ यूँ जिया मैं उससे,जुदा होके…
जैसे बिखरा कोई कस्ती,तुफां मे फन्ना होके..!
जुड़ा रिस्ता कुछ इस कदर,उसकी यादों से अब…
जैसे ज़िंदगी बसी है,सांसो मे,रवाँ होके…!!
Acct- इंदर भोले नाथ…
जैसे बिखरा कोई कस्ती,तुफां मे फन्ना होके..!
जुड़ा रिस्ता कुछ इस कदर,उसकी यादों से अब…
जैसे ज़िंदगी बसी है,सांसो मे,रवाँ होके…!!
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