कुछ पूरी, कुछ अधूरी है कहानी अपनी,
कुछ पाने की चाह मे,बीत रही जवानी अपनी..!
न जाने कब से चल रहें, मंज़िल की तलाश में,
कुछ कट चुकी, कुछ बाकी है जिंदगानी अपनी...!!
कुछ पाने की चाह मे,बीत रही जवानी अपनी..!
न जाने कब से चल रहें, मंज़िल की तलाश में,
कुछ कट चुकी, कुछ बाकी है जिंदगानी अपनी...!!
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