Tuesday, August 11, 2015

           हैं वो ना समझ "भगवन",जो तुझे पैसों से रिझावे हैं...
दुआ करोड़ो की माँगे,"चन्द" सिक्के चढ़ावे हैं...
   जिसे ज़रूरत है रोटी की, उसे पानी न पिलावे हैं...
     जो बना है पत्थरों का "इंदर",उसे मेवा ख़िलावे हैं...

#मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर
Acct- (IBN_


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