Wednesday, August 12, 2015

"बिखर जाउँगा मैं......


आज कद्र नहीं तुम्हे मेरी इंदर,
कल तन्हाई मे बहुत याद आउँगा मैं...
आज हसते हुए जुदा हो रहे हो,
कल इन आँखों का आसू बन जाउँगा मैं...
है मोहब्बत कितनी मेरे दिल मे,
तन्हाई मे तुम्हे ये "एहसास" दिलाउँगा मैं...
बे-शक़ तुम गुन्जोगे,महफ़िल मे बनके तराने,
बनके ज़िक्र लबों पे तुम्हारी,हर वक़्त आउँगा मैं...
न होने देंगे फीका कभी तेरे चेहरे का नूर,
बनके नूर-ए-आफ़ताब तेरी सूरत पे
सवर जाउँगा मैं....
जब कभी टूटोगे तुम, होके मायूस,
हर आह मे साथ निभाउँगा मैं...
वादा रहा तुमसे मेरी "ऐ-ज़िंदगी",
तेरे हर दर्द पे टूट के बिखर जाउँगा मैं.....!!


११/०८/२०१५@मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर

Acct- (IBN_

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