इंदर भोले नाथ....... आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत
Wednesday, March 6, 2024
दरियाफ़्त कर लेते
घड़ी दो घड़ी भर के लिए मुलाक़ात कर लेते
दिल मे उभर रहे ख़यालों से सवालात कर लेते
दिल मे उभर रहे ख़यालों से सवालात कर लेते
तुम्हें शिकायत है कि बंद किताब सा हूँ, मैं
कम से कम मुझे तनिक सा दरियाफ़्त कर लेते
कम से कम मुझे तनिक सा दरियाफ़्त कर लेते
कर लेते कि करने से कुछ असर ही हो जाता
असर हो जाता ऐसा कुछ करामात कर लेते
असर हो जाता ऐसा कुछ करामात कर लेते
©® इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
..................
धीर धरा मन धीर धरा
"धीर धरा मन धीर धरा"
हौले हौले मर जइहें पीर जिया के भर जइहें
बढ़ जइहें कदम,बिसार के सब
तोड़ पाँव के,जंजीर धरा
धीर धरा मन धीर धरा
न नयन नियरे नीर धरा
जग से छुपा के जतन से
आभूषण नियन पीर धरा
धीर धरा...
काग न करिहें
आवन के चर्चा
ना संदेश कबूतर ले अइहें
अइहें ना उ मरहम बन के
ना हृदय में बिरह के तीर धरा
धीर धरा....
सच के पाँव में रस्सी बांध
झूठ के संग दौड़ावत हैं
अंधेर नगरी चौपट राजा
सच में होत कहावत है
गिरगिट नियन रंग बदल के
बढ़ जा जग के संग बदल के
न्याय नीति और सभ्यता के
मोटरी अब न सिर धरा
धीर धरा मन धीर धरा
न नयन नियरे नीर धरा
©® इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
बढ़ जइहें कदम,बिसार के सब
तोड़ पाँव के,जंजीर धरा
धीर धरा मन धीर धरा
न नयन नियरे नीर धरा
जग से छुपा के जतन से
आभूषण नियन पीर धरा
धीर धरा...
काग न करिहें
आवन के चर्चा
ना संदेश कबूतर ले अइहें
अइहें ना उ मरहम बन के
ना हृदय में बिरह के तीर धरा
धीर धरा....
सच के पाँव में रस्सी बांध
झूठ के संग दौड़ावत हैं
अंधेर नगरी चौपट राजा
सच में होत कहावत है
गिरगिट नियन रंग बदल के
बढ़ जा जग के संग बदल के
न्याय नीति और सभ्यता के
मोटरी अब न सिर धरा
धीर धरा मन धीर धरा
न नयन नियरे नीर धरा
©® इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
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