Friday, January 8, 2016

वो पहला खत मेरा "तेरे नाम का"..........

वो पहला खत मेरा “तेरे नाम का”……….
मेरी प्यारी (******)
हर वक़्त हमें तेरी मौजूदगी का एहसास क्यूँ है,
जब याद करता दिल तुझे, तूँ पास क्यूँ है…
ये क्या है क्यूँ है,कुछ समझ नहीं आता,
तेरे न होने से आज दिल उदास क्यूँ है…
कल तेरे न आने से,मैं सारा दिन खामोश बैठा रहा,
कई बार सोचा तेरी गली का इक चक्कर लगा आता,
कितनी तड़प है सांसो मे काश तुझे जता पाता…
जितनी बेचैनी मुझको है,क्या तुम भी उतनी बेचैन सी है,
बस यही तुमसे पूछना था,बस यही पता लगाना था,
सोचा कई बार पूछलू तुमसे,हर बार मैं डर जाता था…
बुरा न मान जाओ कहीं, तुम मेरी बातों का
इसलिए लिखा था खत एक, मैने “तेरे नाम का”
अक्स दिया अल्फाज़ों मे,मैने अपने अरमान का
लिए सुबह निकला था मैं,वो खत कमीज की जेब मे
बारिश आई भीग गया,वो मेरा पहला खत तेरे नाम का
जिस सादगी से था लिखा मैने
वो इज़हार-ए-खत तेरे नाम का
तब लगा जैसे टूट गया, घरौंदा मेरे अरमान का
वो मेरा पहला खत “तेरे नाम का”
तुम्हारा….इंदर
…….इंदर भोले नाथ…….