Friday, April 1, 2016

ख्वाबों की तरह..

ख्वाबों की तरह रुख्सत सी हुई
“ज़िंदगी” तूँ जब अब्सारों से…
है धुंधला सा हुआ चिराग-ए-दिल
राह-ए-उल्फत के नज़ारों से…

…इंदर भोले नाथ…
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