Monday, September 14, 2015

भीगती है रूह-ए-बंजर बस,
तेरी यादों के साये मे...
ये मुलाकात तो बस जिस्म की,
प्यास मिटाती है....

मुद्दतो बीते.....तेरे दिदार को ऐ-इंदर,


के अब तो ख़यालों मे भी तेरा चेहरा
फीका सा पड़ गया है.....!!


हर आँसू के छलकते पैमाने पे,तेरा नाम लिख दिया,
हर दर्द से निकली आह पे, तेरा नाम लिख दिया...!
तूँ फ़िक्र ना कर हमारी "ज़िंदगी" का "इंदर",
तेरी यादों के नाम, मैने "ज़िंदगी" तमाम लिख दिया...!!