भीगती है रूह-ए-बंजर बस,
तेरी यादों के साये मे...
तेरी यादों के साये मे...
ये मुलाकात तो बस जिस्म की,
प्यास मिटाती है....
प्यास मिटाती है....
इंदर भोले नाथ....... आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत