ये शाम फिर वही पहचानी सी है
आंखों में फिर वही कहानी सी है
रोज खामोशियों में गुजरते हैं पल
दास्तां इश्क़ की वही पुरानी सी है
ये शाम फिर…..
तुं मुझ में है या तुझ में हूँ मैं
आज तक ये समझ पायें न हम
खामोशी है या जुबानी सी है
मुझ में तेरी कोई निशानी सी है
ये शाम फिर……..
अधूरे स्वप्न कुछ तुम्हारे भी हैं
ख्वाहिशें कुछ अधूरी हमारी भी है
तेरे दिल में भी हलचल तूफानी सी है
मेरी आँखों मे भी थोड़ी पानी सी है
ये शाम फिर वही पहचानी सी है
आंखों में फिर वही कहानी सी है
©इंदर भोले नाथ
आंखों में फिर वही कहानी सी है
रोज खामोशियों में गुजरते हैं पल
दास्तां इश्क़ की वही पुरानी सी है
ये शाम फिर…..
तुं मुझ में है या तुझ में हूँ मैं
आज तक ये समझ पायें न हम
खामोशी है या जुबानी सी है
मुझ में तेरी कोई निशानी सी है
ये शाम फिर……..
अधूरे स्वप्न कुछ तुम्हारे भी हैं
ख्वाहिशें कुछ अधूरी हमारी भी है
तेरे दिल में भी हलचल तूफानी सी है
मेरी आँखों मे भी थोड़ी पानी सी है
ये शाम फिर वही पहचानी सी है
आंखों में फिर वही कहानी सी है
©इंदर भोले नाथ