वो सख्श मेरे सामने था खड़ा
मैं बस उसे देखता ही रहा
सोचा उस से दो बातें करलें
पल दो पल की मुलाकातें कर लें
न जाने क्यूँ वो अपना सा लगा
वो सच था पर सपना सा लगा
इक कशिश थी उसकी आँखों में
इक बेचैनी थी उसकी सांसों में
खुद को पाया मैंने उस में
न जाने क्यों वो आइना सा लगा
पहले भी मिला था शायद उससे
तब बड़ा ही दिल खुश लगता था
मगर आज कुछ खोया सा लगा
रूह तलक रोया सा लगा
नहीं था वो जुदा हमसे "इंदर"
वो शख्स मेरा साया सा लगा
....इंदर भोले नाथ
मैं बस उसे देखता ही रहा
सोचा उस से दो बातें करलें
पल दो पल की मुलाकातें कर लें
न जाने क्यूँ वो अपना सा लगा
वो सच था पर सपना सा लगा
इक कशिश थी उसकी आँखों में
इक बेचैनी थी उसकी सांसों में
खुद को पाया मैंने उस में
न जाने क्यों वो आइना सा लगा
पहले भी मिला था शायद उससे
तब बड़ा ही दिल खुश लगता था
मगर आज कुछ खोया सा लगा
रूह तलक रोया सा लगा
नहीं था वो जुदा हमसे "इंदर"
वो शख्स मेरा साया सा लगा
....इंदर भोले नाथ