Wednesday, March 6, 2024

दरियाफ़्त कर लेते

घड़ी दो घड़ी भर के लिए मुलाक़ात कर लेते
दिल मे उभर रहे ख़यालों से सवालात कर लेते

तुम्हें शिकायत है  कि  बंद  किताब सा हूँ,  मैं 
कम से कम मुझे तनिक सा दरियाफ़्त कर लेते

कर लेते कि करने से कुछ असर ही हो जाता 
असर हो जाता ऐसा कुछ करामात कर लेते


©® इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
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