घड़ी दो घड़ी भर के लिए मुलाक़ात कर लेते
दिल मे उभर रहे ख़यालों से सवालात कर लेते
दिल मे उभर रहे ख़यालों से सवालात कर लेते
तुम्हें शिकायत है कि बंद किताब सा हूँ, मैं
कम से कम मुझे तनिक सा दरियाफ़्त कर लेते
कम से कम मुझे तनिक सा दरियाफ़्त कर लेते
कर लेते कि करने से कुछ असर ही हो जाता
असर हो जाता ऐसा कुछ करामात कर लेते
असर हो जाता ऐसा कुछ करामात कर लेते
©® इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
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