Monday, April 20, 2020

ग़ज़ल

चरागों से कह दो ना बुझे इक आस बाकी है
धड़कनें भी हैं चल रही, अभी सांस बाकी है

कब से दबे हैं दिल में अल्फाजों का काफिला
कई  अनकहे  से वो  अभीं जज्बात  बाकी है

ये  तय  हुआ था कि,  आखिरी दीदार करेंगे
जरा ठहर जाओ अभीं,वो मुलाकात बाकी है

#इंदरभोलेनाथ
@InderBhole

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