वो "मीर" सा अब पीर कहाँ
वो "ग़ालिब" सा नादिर कहाँ
बयां जो दर्द है उन अल्फाजों में
अब के "हर्फ़" में वो तासीर कहाँ...
नादिर=दुर्लभ, अमूल्य, अनूठा
वो "ग़ालिब" सा नादिर कहाँ
बयां जो दर्द है उन अल्फाजों में
अब के "हर्फ़" में वो तासीर कहाँ...
नादिर=दुर्लभ, अमूल्य, अनूठा
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