तूँ चाँद है फलक़ का,मैं मिट्टी का बादशाह
तूँ ख्वाहिश है दिलों की,मैं यूँ ही बे-वजह
तूँ हुस्न है चमन का,मैं ख्वाहिश-ए-वीरान
तूँ आगाज़-ए-आसमान है,मैं बुझता कारवाँ
तूँ ख्वाहिश है दिलों की,मैं यूँ ही बे-वजह
तूँ हुस्न है चमन का,मैं ख्वाहिश-ए-वीरान
तूँ आगाज़-ए-आसमान है,मैं बुझता कारवाँ
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