Friday, November 9, 2018

तूँ चाँद है फलक़ का,मैं मिट्टी का बादशाह 
तूँ ख्वाहिश है दिलों की,मैं यूँ ही बे-वजह

तूँ हुस्न है चमन का,मैं ख्वाहिश-ए-वीरान 
तूँ आगाज़-ए-आसमान है,मैं बुझता कारवाँ 

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